संपादकीय लेख – प्रतुल पराशर (प्रधान संपादक)
संघ और बीजेपी की रणनीतिक दिशा
भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश में हेमन्त खंडेलवाल को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। यह निर्णय केवल संगठनात्मक फेरबदल नहीं, बल्कि राजनीतिक भविष्य की रणनीति का भी संकेत है। ऐसे समय में जब पार्टी को राज्य में जमीनी पकड़ को और मजबूत करने की आवश्यकता है, हेमन्त खंडेलवाल का चयन कई स्तरों पर विश्लेषण की मांग करता है।
संघ का भरोसेमंद विकल्प
हेमन्त खंडेलवाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की विचारधारा के प्रति समर्पित और लंबे समय से संगठन में सक्रिय रहे हैं। उनके पिता विजय कुमार खंडेलवाल भी संघ से जुड़े वरिष्ठ नेता थे और खंडेलवाल परिवार की एक खास पहचान संघनिष्ठ कार्यकर्ताओं की रही है। ऐसे में उनकी नियुक्ति यह दर्शाती है कि संघ नेतृत्व एक बार फिर पार्टी को मूल विचारधारा की ओर लौटाने और संगठनात्मक अनुशासन को प्राथमिकता देने के मूड में है।
क्षेत्रीय संतुलन और जातीय गणित
खंडेलवाल मालवा-निमाड़ अंचल से आते हैं, जो मध्य प्रदेश की राजनीति में हमेशा निर्णायक भूमिका निभाता रहा है। इस अंचल में कांग्रेस ने हाल के चुनावों में कुछ बढ़त बनाई है। बीजेपी खंडेलवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर इस इलाके में फिर से अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। साथ ही, वे वैश्य समाज से आते हैं, जो पारंपरिक रूप से भाजपा का समर्थन करता आया है लेकिन हाल के वर्षों में उपेक्षा महसूस कर रहा था। ऐसे में यह कदम जातीय संतुलन साधने की एक कोशिश भी मानी जा सकती है।
युवा नेतृत्व और साफ-सुथरी छवि
हेमन्त खंडेलवाल अपेक्षाकृत युवा नेता हैं और उनकी छवि साफ-सुथरी है। प्रदेश में नेतृत्व को लेकर लंबे समय से जो भ्रम और असंतोष की स्थिति थी, उसमें अब स्थायित्व और स्पष्टता लाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर होगी। पार्टी युवाओं को जोड़ने के लिए एक ऐसा चेहरा चाहती थी, जो संगठनात्मक अनुभव के साथ-साथ नई पीढ़ी के बीच भी संवाद स्थापित कर सके। खंडेलवाल इन दोनों कसौटियों पर खरे उतरते हैं।
शिवराज सिंह चौहान से संतुलन
प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के लंबे शासन के बाद पार्टी एक नए नेतृत्व की ओर बढ़ रही है। मोहन यादव की मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्ति इसी दिशा में पहला कदम था। हेमन्त खंडेलवाल की नियुक्ति उस संतुलन का दूसरा चरण है, जिसमें पार्टी नेतृत्व को सत्ताधारी सरकार और संगठन के बीच सामंजस्य बैठाना है। खंडेलवाल को एक ऐसे संगठनकर्ता के रूप में देखा जा रहा है जो सरकार पर नियंत्रण रखने की संघ की अपेक्षाओं को भी पूरा कर सके।
हेमन्त खंडेलवाल की नियुक्ति एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, जिसमें संघ की विचारधारा, जातीय समीकरण, क्षेत्रीय संतुलन और युवा नेतृत्व को साधने की चतुर चाल दिखाई देती है। आने वाले समय में यह स्पष्ट होगा कि वे इन अपेक्षाओं पर कितना खरे उतरते हैं, लेकिन फिलहाल इतना तय है कि बीजेपी मध्य प्रदेश में एक नई सांगठनिक दिशा की ओर बढ़ चली है — जहां ‘संघनिष्ठ, संतुलित और समर्पित’ नेतृत्व को प्राथमिकता दी जा रही है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव और संगठन प्रमुख हेमन्त खंडेलवाल की जोड़ी से पार्टी को उम्मीद है कि वह सरकार और संगठन के बीच बेहतर समन्वय स्थापित कर 2028 के विधानसभा चुनावों की तैयारी में मजबूती से आगे बढ़ेगी। यह नियुक्ति पार्टी के ‘संघनिष्ठ और संतुलित नेतृत्व’ की ओर लौटने का स्पष्ट संकेत है।